अगर भारत में गाड़ी चलाने के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल को एक गंभीर अपराध मान लिया जाए तो देश के कम से कम 30 प्रतिशत लोग जेल के अंदर होंगे. आपने अक्सर लोगों को Driving के दौरान मोबाइल फोन पर बात करते हुए या Message करते हुए देखा होगा. हो सकता आप भी ऐसा करते हो . ऐसे लोगों को ये बात याद रखनी चाहिए कि गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से, दिमाग का Reaction time 204 प्रतिशत कम हो जाता है. यानी दिमाग एकदम सुस्त और लापरवाह हो जाता है. इसकी वजह से किसी की जान भी जा सकती है लेकिन ये बात हमारे देश के लोगों को अब तक समझ में नहीं आई है. ऐसे लोगों को समझाने के लिए कानून के डंडे की ज़रूरत पड़ती है .आपने देखा होगा कि जो काम हमारे देश में सिस्टम और सरकारें कई वर्षों में नहीं कर पातीं वो काम... कई बार अदालतें चुटकियों में कर देती हैं. इस बार ये काम राजस्थान हाइकोर्ट में हुआ है .
राजस्थान हाइकोर्ट ने राजस्थान सरकार को ये आदेश दिया है कि गाड़ी चलाने के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस Cancel कर दिया जाए . ये एक ऐतिहासिक फैसला है जिसे पूरे देश में लागू करने की ज़रूरत है . आपने देखा होगा कि कुछ बीमारियां दवाइयों से ठीक नहीं हो पाती. ऐसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है. गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी एक ऐसी बीमारी है जिसके लिए बड़े पैमाने पर सर्जरी की ज़रूरत है.
वर्ष 2016 में मोबाइल फोन पर बात करने की वजह से 4 हज़ार 976 सड़क हादसे हुए थे जिनमें 2 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गये थे. किसी भी हादसे के बाद अकसर ये कहा जाता है कि भगवान की मर्ज़ी के आगे किसी की नहीं चलती.. लेकिन ये भगवान की मर्ज़ी नहीं... लापरवाह लोगों की खुदगर्ज़ी है. लोगों की इस लापरवाह सोच को समझने के लिए देश के 8 बड़े शहरों में एक सर्वे किया गया. इसमें 47 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन पर बात करते हैं.
34% लोगों ने कहा कि फोन पर बात करते हुए उन्हें कई बार अचानक ब्रेक लगाना पड़ता है और वो किसी तरह सड़क हादसे से बाल-बाल बच जाते हैं. एक survey के मुताबिक भारत के हर 10 में से 3 नागरिक ऐसे हैं, जो Driving करते वक्त Phone का इस्तेमाल करते हैं. हर 10 में से 3 भारतीय नागरिक, गाड़ी चलाते वक्त, या तो Phone से Message भेजते हैं, E-mail करते हैं या फिर Social Media को Access करते हैं. IIT Bombay की एक स्टडी के मुताबिक गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से दिमाग का Reaction time 204 प्रतिशत कम हो जाता है. यानी इस दौरान आपका दिमाग मोबाइल फोन में उलझ जाता है और ध्यान भटकने की वजह से गाड़ी चलाने में लापरवाही हो जाती है .
अगर गाड़ी चलाते हुए आप मोबाइल फोन पर कोई Message Type करते हैं तो आपके दिमाग का Reaction Time 204 प्रतिशत कम हो जाता है. यानी सड़क पर आपका ध्यान और सतर्कता कई गुना कम हो जाते हैं. और जब आप फोन पर बात करते हैं तो आपके दिमाग का Reaction time 40 प्रतिशत कम हो जाता है. गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले को अक्सर ये लगता है कि वो सब कुछ देख रहा है. लेकिन ऐसा होता नहीं है. इस दौरान आपका दिमाग 50% से भी ज़्यादा देखी गई चीज़ों को नज़र अंदाज़ कर देता है.
अक्सर चालान से बचने के लिए ज़्यादातर लोग Driving के दौरान hands free या Ear Phone का इस्तेमाल करते हैं.. और किसी तरह पुलिस को चकमा देकर निकल जाते हैं. ये चालाकी आपको चालान से तो बचा सकती है लेकिन हादसे से नहीं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक स्कूल बस की ट्रेन से टक्कर हो गई थी. और उस स्कूल बस का ड्राइवर भी कान में Earphone लगाकर गाड़ी चला रहा था और उसे किसी की बात सुनाई नहीं दे रही थी. इस लापरवाही की वजह से 13 बच्चों की मौत हो गई थी. कुल मिलाकर इस रिसर्च का सार ये हैं कि गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना छोड़ दीजिए वर्ना ये गलती आपकी और सड़क पर चलने वाले लोगों की जिंदगी ख़तरे में डाल सकती है .
हमारे देश के लोगों में नियम-कानून के प्रति सम्मान की भावना बहुत कम है. वो सड़कों पर अपनी मर्ज़ी के हिसाब से चलना चाहते हैं . सड़क पर ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई के दौरान अक्सर लोग ये कहते हैं कि तुम जानते नहीं मैं कौन हूं....मेरी पहचान ऊपर तक है . ऐसे लोगों को अगर नॉर्थ कोरिया के कानून बारे में पता चल जाए तो उनकी ये अकड़ कम हो सकती है . नॉर्थ कोरिया एक ऐसा देश है जहां सिर्फ़ तानाशाह किम जोंग उन.. का कानून चलता है... और वहां ज़रा सी लापरवाही पर सज़ा-ए-मौत दे दी जाती है. हालांकि पिछले कुछ समय से किम जोंग उन.. के व्यवहार में कुछ नरमी आई है . और वो दोस्ती की भाषा बोलने लगे हैं.
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